
जीवाणु से होने वाले त्वचा रोग
जीवाणु संक्रमण या बैक्टीरियल इन्फेक्शन हमारे शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। त्वचा जब जीवाणुओं से प्रभावित होती है तो व्यक्ति को संक्रामक रोग घेर लेते हैं। समय रहते यदि इन रोगों का इलाज करवा लिया जाए तो जल्द ही आप इससे मुक्त भी हो सकते हैं। आज हम आपको बताएँगे कुछ ऐसे रोगों के बारे में जिनको लेकर लोगों के मन में तरह तरह की ग़लतफ़हमियाँ हैं।
इम्पेटाइगो
यह एक्सिमा का ही एक प्रकार है जो बैक्टीरिया की वजह से त्वचा पर होता है। यह एक संक्रामक रोग है। यह किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है लेकिन आमतौर पर यह 2 से 6 साल कि आयु के बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। यह रोग त्वचा पर कहीं भी हो सकता है, लेकिन अधिकतर यह चेहरे, हाथ या पाँव में एक लाल दाने के रूप से शुरू होता है और धीरे धीरे घाव में बदल जाता है और फिर उसमें मवाद पड़नी शुरू हो जाती है। घाव में बहुत ज़्यादा खुजली होना,चकत्ते पड़ना,फफोले पड़ना इस समस्या के आम लक्षण हैं।
कारण
जिन क्षेत्रों की जलवायु नम या गर्म होती है वहाँ इसके जीवाणु तेज़ी से फैलते हैं | क्योंकि यह एक संक्रामक रोग है तो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से हो जाता है। फुटबॉल, कब्बडी के अलावा उन खेलों के खिलाड़ियों को इसके होने की संभावना अधिक रहती है जिसमें हमारी त्वचा किसी दूसरे इंसान को छूती है।
बचाव
यदि समय से इसका इलाज नहीं किया जाए तो इसका संक्रमण शरीर के अन्य अंगों में भी पहुँच सकता है, साथ ही त्वचा हमेशा के लिए खराब हो सकती है। लेकिन यदि थोड़ी सावधानी रखी जाए तो इससे आसानी से बचा जा सकता है।
स्वछता का रखें ध्यान
यह एक संक्रामक रोग है तो स्वछता का विशेष ध्यान रख कर हम इससे बच सकते हैं।अपने शरीर की सफ़ाई रखें,अपना साबुन, तौलिया, जैसी चीज़ें किसी अन्य व्यक्ति को इस्तेमाल न करने दें। शुरूआत के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सम्पर्क करें।
कुष्ठ रोग
कुष्ठ रोग या कोढ़ जीवाणुओं से फैलने वाली ऐसी बीमारी है जो लम्बे समय तक चलती है। किसी भी आयु और वर्ग के लोगों को यह प्रभावित कर सकती है | लेकिन बच्चों को इसका संक्रमण जल्दी होने की संभावना रहती है। कुष्ठ रोग को लेकर समाज में तरह तरह की ग़लतफ़हमियाँ हैं जैसे यह माना जाता है कि यह लाइलाज बीमारी है, या अनुवांशिक बीमारी है जबकि ऐसा नहीं है। हाँ, समय रहते यदि इसका इलाज नहीं किया जाए तो स्थिति ज़रूर गंभीर हो सकती है।
लक्षण
कुष्ठ रोग होने पर शरीर के किसी भी भाग में गांठे होने लगती हैं| त्वचा में जगह जगह चकत्ते पड़ने लगते हैं| यह चकत्ते लाल या रंगहीन हो सकते हैं। प्रभावित अंग सुन्न हो जाता है ,वहाँ किसी भी चीज़ का अनुभव नहीं होता। कुष्ठ रोग से व्यक्ति दिव्यांग भी हो सकता है, साथ ही आँखों की रौशनी जाने का भी खतरा रहता है।
उपचार
कुष्ठ रोग का इलाज अब हमारे देश में जगह जगह उपलब्ध है। यदि शुरूआत के दौर में ही इसका इलाज करवा लिया जाए तो एक हफ्ते में यह बीमारी ठीक हो सकती है। यदि परिवार में कोई रोगी हो तो विशेष रूप से बच्चों को संक्रमण से बचाने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुष्ठ रोगी जितना शारीरिक रूप से टूटता है उतना ही अपनों की उपेक्षा से मानसिक रूप से भी टूटता है, इसलिए थोड़ी एहतियात रखते हुए इलाज के दौरान उनका विशेष ध्यान रखें। उन्हें परिवार से अलग न करें ।
हर्पीज़
हर्पीज़ जीवाणुओं से होने वाला ऐसा संक्रामक रोग है जो 40 या उससे बड़ी उम्र के लोगों को अधिक प्रभावित करता है।
लक्षण
हर्पीज़ एक व्यक्ति के शरीर के किसी भी एक भाग को प्रभावित कर सकता है। दाहिने या बाहिने, एक ही तरफ़ इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। इससे शरीर के किसी भी भाग में छोटे छोटे पानीदार दाने निकल आते हैं। दानों में असहनीय दर्द और जलन होती है जिससे बुखार, सिर दर्द, बेचैनी के लक्षण दिखाई देते हैं। जिन लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हें यह बीमारी जल्दी घेरती है। इसी प्रकार जो कैंसर के इलाज के दौरान रेडिएशन या कीमोथैरेपी ले रहें उन्हें भी हर्पीज़ होने की संभावना होती है।
उपचार
लक्षण दिखाई देते ही यदि इसका इलाज शुरू कर दिया जाए तो मरीज़ काफ़ी हद तक पीड़ा से बच सकता है। इसकी वैक्सीन लगवा कर भी बीमारी से बचा जा सकता है।
जीवाणु से होने वाला कोई भी त्वचा रोग लाइलाज नहीं हैं। थोड़ी सी सावधानी,थोड़ी सी सतर्कता और बहुत सारी सफ़ाई की आदत से आप इससे बच सकते हैं। अपने भोजन का ध्यान रखें और दिनचर्या को नियमित करें, तो ऐसी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है |
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