हेपेटाइटिस कारण और बचाव

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पिछले कुछ समय से हेपेटाइटिस दुनिया भर में तेज़ी से फैलने वाली एक बीमारी बन चुकी है| यह हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग लिवर को प्रभावित करती है। हेपेटाइटिस 5 प्रकार का होता है ए बी सी डी ई इनमें से अधिकांश संक्रमण के कारण ही होते हैं | लेकिन कुछ गैर संक्रमित कारण भी हैं जिससे यह बीमारी हो सकती है । यदि समय पर इसका इलाज न करवाया जाए तो लिवर सिरोसिस और कैंसर जैसा गंभीर रोग भी हेपेटाइटिस के कारण हो सकता है।आइए जानते हैं कि हम अपनी खान-पान की आदतों में किस प्रकार बदलाव करके हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।

हेपेटाइटिस ए

हेपेटाइटिस ए सबसे ज़्यादा फैलने वाला लिवर का संक्रमण है। यह मुख्य रूप से दूषित पानी पीने और दूषित भोजन से होता है | थोड़ी सी देखभाल और परहेज़ से यह 3 से 4 हफ्तों में ठीक हो जाता है। गर्भवती स्त्री को यदि पीलिया हो जाए तो, यह माँ से बच्चे तक आसानी से पहुँच जाता है | इसलिए ऐसे समय गर्भवती महिला को अतिरिक्त देखरेख की आवश्यकता होती है। हेपेटाइटिस ए बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकता है ।

बचाव

चूंकि यह दूषित जल और दूषित भोजन से होने वाला रोग है, इसलिए कोशिश करें कि साफ़ पानी और खाने का सेवन करें | विशेष रूप से गर्मी के मौसम में यह रोग तेज़ी से फैलता हैं इसलिए इस मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरतें ज़्यादा से ज़्यादा स्वच्छ पानी पीजिए।

हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी

विश्व भर में बड़ी संख्या में लोग हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित हैं। हेपेटाइटिस बी के कुछ प्रारंभिक लक्षण हैं जैसे - आँखों में पीलापन, थकान, उल्टी, पेट दर्द , बुखार, लिवर में सूजन आदि | लेकिन हेपेटाइटिस सी के लक्षण लम्बे समय तक शरीर में नहीं रहते, इसलिए इसे शांत मौत भी कहा जाता है। ये दोनों ही रक्त के माध्यम से धीरे धीरे फैलते हैं। ये मुख्य रूप से संक्रमित खून चढ़ाने, संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित सेक्स करने, एक दूसरे का रेज़र इस्तेमाल करने, संक्रमित माता से बच्चे तक पहुँचता है। संक्रमित सुई से टीका लगवाने से, टैटू गुदवाने, असुरक्षित सौंदर्य ट्रीटमेंट करवाने से भी यह रोग होता है। समय पर यदि इलाज नहीं कराया जाए तो यह लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का भी कारण बनता है ।

बचाव

थोड़ी सावधानी और अतिरिक्त सतर्कता अपना कर आप इस जानलेवा बिमारी से आसानी से बच सकते हैं। जब भी कभी शरीर में रक्त चढ़वाने की ज़रूरत हो तो ध्यान रखें कि रक्त की पूरी जाँच की गयी हो , टीका लगाने के लिए हमेशा नई सीरिंज का प्रयोग करें, अपनी व्यक्तिगत चीज़े जैसे रेज़र, ब्रश साबुन आदि  किसी के साथ साझा न करें । टैटू गुदवाने से पहले भी सावधानी बरतें। स्पा अथवा अन्य कोई सौंदर्य ट्रीटमेंट करवाने से पहले साफ़ सफाई पर ध्यान दें । नियमित टीका करण करवा कर आप हेपेटाइटिस बी से बच सकते हैं ।

हेपेटाइटिस डी

हेपेटाइटिस डी अधिकतर उन्हीं लोगों को अपनी चपेट में लेता है जिन्हें पहले से ही हेपेटाइटिस बी अथवा सी हो चुका हो | मतलब यह बी और सी का बढ़ा हुआ रूप है | यदि किसी को सीधे हेपेटाइटिस डी होता है तो, इसका मतलब की उसके लिवर को काफी नुकसान हो चुका है। हेपेटाइटिस बी और सी के लिए जो भी सतर्कता बरती जाती है वही हेपिटाइटिस डी के लिए भी बरती जाए तो इससे बचा जा सकता है ।

हेपेटाइटिस ई

भारत में हेपिटाइटिस ई के मरीज़ अन्य देशों कि तुलना में कम देखे जाते हैं। यह भी दूषित पानी और दूषित भोजन से फैलने वाली बीमारी है। इसके साथ ही यह पशुओं के द्वारा भी फैलती और बढ़ती है। थकान, वज़न में कमी, पेट के में दर्द, बुखार आदि इसके लक्षण हैं।

बचाव

थोड़ा सा परहेज़ और सावधानी बरत कर आप इस बीमारी से बच सकते हैं । अपने खाने और पानी की सफाई का ध्यान रखें ,अपने आस पास के पशुओं से सतर्क रहें । ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें ।

चूंकि हेपेटाइटिस की बीमारी लिवर से संबंधित है ,इसलिए अपने लिवर का विशेष ध्यान रखें । बहुत गरिष्ठ ,तला  मैदे से बना भोजन और फास्टफूड की बजाय हल्का घर का बना खाना ही खाएँ, शराब और ध्रूमपान को नियंत्रित कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। साफ़ सफाई का विशेष ध्यान दें ,अतिरिक्त सावधानी आपको सुरक्षित रख, बिमारियों से बचा कर रख सकती है|

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