
क्या पीसीओडी के रोगी गर्भधारण कर सकते हैं ?
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पीसीओडी क्या है ?
पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज ( पीसीओडी ) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो कि अंडाशय के बाहरी किनारों पर छोटे-छोटे सिस्ट के बढ़ने का कारण बनता है| इससे मादा हार्मोन एंडोर्फिन के कामकाज को बाधित करता है और अंडाशय चक्र असामान्य हो जाता है|
**ये हैं पीसीओडी के लक्षण : **
- अनियमित मासिक धर्म चक्र
- मुंहासे
- पिग्मेंटेशन और इन्सुलिन प्रतिरोध
- अतिरिक्त बाल होना
रोगी में कोई एक या सारे लक्षण दिखाई दे सकते हैं| आप बेहतर सुझाव और जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लीजिए|
पीसीओडी होने के कारण :
पीसीओडी,आमतौर पर अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियों वाली महिलाओं को होता है| खाने की अनियमिता के कारण उनका वजन बढ़ जाता है| कुछ अध्ययनों से पता चला है कि अनुवांशिक कारणों से भी यह समस्या उत्पन्न होती है | उदाहरण के लिए : माँ से बेटी में पीसीओएस/पीसीओडी होना असामान्य नहीं है| हालाँकि यह स्थिति अभी बहस का विषय है |
क्या पीसीओडी के रोगी गर्भधारण कर सकते हैं?
पीसीओडी से ग्रसित ज्यादातर महिलाएं अपने गर्भधारण के बारे में संदेह से ग्रसित होती हैं| पॉलीसिस्टिक ओवरी की वजह से महिलाओं में बांझपन की दर बहुत अधिक है | इन लोगों को आमतौर पर गर्भधारण करने में कठिनाई होती है किन्तु चिकित्सीय मदद से स्थिति में सुधार आ सकता है| कुछ महिलाएं जो इस समस्या से ग्रसित हैं वे परिपक्व अंडे जारी करती हैं और कुछ में यह संभव नहीं होता है | खुशखबरी यह है कि अगर उचित इलाज़ कराया जाए तो पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं का गर्भधारण संभव है |
पीसीओडी का उपचार क्या है ?
पीसीओडी का उपचार परिणाम के ऊपर निर्भर करते हैं| यह इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित गर्भधारण के लिए इच्छुक है या नहीं | समान्यतः , पीसीओडी के रोगियों को सलाह दी जाती है कि वह संतुलित जीवनशैली के उपाय : जैसे संतुलित आहार और व्यायाम पर निर्भर करें|
ऐसा आहार जिसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सीमित है वह, निर्धारित शारीरिक गतिविधि के साथ, सामान्य मासिक धर्म चक्र प्राप्त करने के कई मामलों में साबित हुआ है| यह वज़न कम करने में भी मदद करता है|
क्या कोई मेडिकल उपचार संभव है ?
पीसीओडी के बावजूद प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए अंडे जारी होने में मदद के लिए दवाएं और हार्मोनल इंजैक्शन एक आम दृष्टिकोण है| लेप्रोस्कोपिक का उपयोग करने वाले तंत्र – लेप्रोस्कोपिक डिम्बग्रंथि ड्रिलिंग – कुछ मामलों में सामान्य अंडे जारी होने में मदद के लिए उपयोग किया जाता है| यहाँ डिम्बग्रन्थि की दीवारों की मोटाई को कम करने के उद्देश्य से अंडाशय के कुछ हिस्सों को सर्जन द्वारा ड्रिल किया जाता है| इस शल्य चिकित्सा तकनीक से सफलता दर 20-40 % तक हो जाती है|
आईयूआई और आईवीएफ – तकनीक जो पीसीओडी ग्रसित महिलाओं को गर्भधारण में मदद करती है
इंट्रायूटेरिन इंसेमिनेशन (आईयूआई) , जहाँ पर शुक्राणुओं को इंसेमिनेशन की सहायता से माँ के गर्भ के अंदर रखा जाता है, एवं इनविट्रो फ़र्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में एक प्रयोगशाला में अंडे और शुक्राणु का मैन्युअल या कृत्रिम संयोजन बनाया जाता है| इससे सफलता में 15-25 % की वृद्धि होती है| भारत में आईयूआई का खर्च 20 हजार और आईवीएफ का खर्च 50,000 से 100,000 रूपए के बीच है |