अनियमित माहवारी और घरेलू नुस्खें

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माहवारी महिलाओं को होने वाली एक ज़रूरी शारीरिक प्रक्रिया है। महिलाओं के शरीर में मौजूद हार्मोन्स में हुए बदलावों के कारण गर्भाशय से जो स्राव होता है तो उसे ही माहवारी या पीरियड्स बोला जाता है। सामान्यतः 14 से 50 साल के उम्र की महिलाओं को यह होता है। किसी भी महिला को माहवारी 21 से 35 दिन के अंतराल पर होता है। माहवारी लगभग 4 से 8 दिनों तक होती है। अगर माहवारी के बीच ज्यादा दिन का अंतर हो तो इसे अनियमित माहवारी कहते हैं। अनियमित माहवारी को सही उपायों से ठीक किया जा सकता है। अनियमित माहवारी की समस्या को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। चलिए इसके बारे में थोड़ा और जानते हैं :

अनियमित माहवारी के लक्षण

ब्लीडिंग नहीं होने के अलावा, अधिक या बहुत कम ब्लीडिंग होना भी बिमारी के संकेत हैं। माहवारी के अनियमित होने से शरीर में कई प्रकार की दिक्कतें आ सकती हैं। गर्भाशय में दर्द होना, भूख कम लगना, स्तन, पेट, हाथ-पैर और कमर में दर्द होना, अधिक थकान महसूस होना, कब्ज़ और दस्त की शिकायत इस बिमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा गर्भाशय में खून की गांठों का बनना भी इस बिमारी की एक पहचान है।

अनियमित माहवारी के कारण

अनियमित माहवारी के लिए कारण हैं। आधुनिक जीवनशैली को अनियमित माहवारी का एक प्रमुख कारण माना जा सकता है। हॉर्मोन के असंतुलन से अनियमित पीरियड्स की समस्या सामने आने लगती है। शरीर में पोषण की कमी होने से माहवारी का चक्र बिगड़ सकता है। महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन नाम के तीन हॉर्मोन होते हैं। इन का संतुलन बिगड़ते ही पीरियड्स की समस्या शुरू हो जाती है। लगातार बिमार रहने या थाइरोइड की वजह से भी महिलाओं में माहवारी अनियमित हो जाती है। गर्भनिरोधक गोलियाँ भी इसका कारण बन सकती है |

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पी.सी.ओ.एस) होने से भी अंडाशय में बहुत सारी छोटी पुटियाँ बन जाती हैं और माहवारी की प्रक्रिया बिगड़ जाती है। इसके अलावा मधुमेह, फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस और यौन रोगों की वजह से भी माहवारी प्रभावित होती है।

अगर आपकी माहवारी अनियमित है और दिक्कतें ज्यादा हैं तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर लीजिए। अनियमित माहवारी के लिए कुछ घरेलू उपाय भी आज़माए जा सकते हैं।

कुछ घरेलू उपाय जो आप आज़मा सकते हैं:

  • सबसे पहले अपने जीवनशैली में सुधार करते हुए खान-पान पर ध्यान दें। प्रोसेस्ड फ़ूड की जगह घर में बने पौष्टिक आहार का सेवन शुरू करें|
  • तिल को सूखा भून कर उसे गुड़ के साथ पीस लें। इस मिश्रण को माहवारी शुरू होने के 2 सप्ताह पहले से रोज़ाना एक छोटा चम्मच खाली पेट लेना शुरू करें। माहवारी आने पर इसे लेना बंद कर दें। तिल में लिगनेन के साथ ही आवश्यक फैटी एसिड्स होते हैं जो हार्मोन संबंधी विकारों को दूर करते हैं। वहीं गुड़ शरीर को गर्म कर के माहवारी को नियमित करने में मदद करता है।
  • खाने में सौंफ का इस्तेमाल शुरू करें जिसमें एंटीस्पास्मोडिक तत्व पाए जाते हैं। ये पीरियड्स को नियमित करने में लाभकारी होते हैं।
  • चटपटा, खट्टा और मसालेदार खाने से परहेज करें और हल्का भोजन करें। इसके अलावा चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक्स लेने से दूर रहें।
  • कच्चा पपीता इस बीमारी से महिलाओं को बचाता है। कुछ महीनों तक रोज़ कच्चे पपीते के जूस पीने से पीरियड्स नियमित हो जाते हैं और दर्द से भी छुटकारा मिल जाता है। हरा, कच्चा पपीता गर्भाशय ग्रीव में हड्डियों के फाइबर से जुड़कर माहवारी को सामान्य बनाए रखता है।
  • अदरक को शहद के साथ खाइए या आधा कप में पानी के साथ अदरक मिलाकर 5-7 मिनट के लिए उबाल लें। इसमें थोड़ा शहद मिलाकर इसे उपयोग के लिए तैयार कर लें। आप खाना खाने के बाद इसे दिन में तीन बार लें तो फायदा पहुँच सकता है।
  • एक कप पानी में एक चम्मच धनिए के बीज और दालचीनी पाउडर डाल के उबालें। जब आधा कप पानी रह जाए तब इसमें आधा चम्मच पाउडर रॉक कैंडी या अनरिफाइंड चीनी मिला दें। इसे दिन में दो बार पीजिए | यह उपाय आपको राहत दे सकता है।

यह याद रखना आवश्यक है कि किसी स्वस्थ महिला को साल भर में 11 से 13 बार माहवारी होती है। 1-2 बार इसका अनियमित होना आम है लेकिन अगर बार-बार ऐसी स्थिति हो तो यह चिंता की बात है। दरअसल अनियमित माहवारी होने से आपके व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इसके गड़बड़ होते ही महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से कई समस्याएँ होने लगती हैं।

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