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पीडिऐट्रिक्स बच्चों और उनकी बीमारियों को समझने वाली मेडिसिन की ब्रांच को पीडिऐट्रिक्स कहते हैं| नवजात शिशुओं और बच्चों से जुड़ीं सभी बीमारियों जैसे कि बुखार, सर्दी-ख़ासी, डायपर के चकत्ते, पौषण और उनका बढ़ना आदि सब इसी ब्रांच में आता है | चलिए बात करते हैं छोटे बच्चों की कुछ आम बिमारियों के बारे में :

सर्दी और फ्लू
वैसे तो एक नवजात शिशु को बीमारियों से सुरक्षित रखने में उसकी माँ और स्तनपान की बहुत बड़ी भूमिका है, लेकिन फिर भी और सावधानी रखने की भी आवश्यक है | एक तंदरुस्त बच्चे को भी पहले साल में 6-8 बार सर्दी और फ्लू होना आम बात है | वैसे तो बच्चे को सर्दी कभी भी लग सकती है , लेकिन बच्चे का ख़ास ध्यान नवंबर से मार्च तक के समय में रखना ज़रूरी है |

पेट की परेशानियां
जो बच्चे स्तनपान कर रहे होते हैं , उन्हें कभी कभी कबार दस्तों की परेशानी होना आम बात है | पेट की खराबी , दस्त और उलटी ऐसा गैस्ट्रोएन्टेरिटिस की वजह से होता है| 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इसके होने का कारण है उनके शरीर में पानी की कमी होना | बच्चे के शरीर में पानी की कमी ना हो , इसके लिए आप स्तनपान और बच्चे के खाने का ध्यान नियमित रूप से रखें |

त्वचा और डायपर के चकत्ते
छोटे बच्चों में डायपर के चकत्ते होना बहुत आम बात है , इसके कारण उनकी त्वचा पर लाली भी आ सकती है| ऐसा डायपर को गलत तरीके से पहनाने की वजह से भी होता है | जिन बच्चों की त्वचा बेहद नाज़ुक़ होती है, उन्हें साबुन, बेबी वाइप्स, कपड़ों के साबुन आदि से भी चकत्ते हो सकते हैं|

बच्चों का विकास
हर माता पिता का यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि उनका बच्चा ठीक से बढ़ रहा है | ग्रोथ (विकास) चार्ट की मदद से आप अपने बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से बढ़ता देख सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वह ठीक तरह से बढ़ रहा है या नहीं | ग्रोथ चार्ट का इस्तेमाल बाल विशेषज्ञ करते हैं , ताकि वह सही तरह से बच्चों के विकास पर नज़र रख सकें |

बच्चों का आहार और पोषण
हर माता-पिता अपने बच्चे के पोषण के बारे में जानना चाहते हैं | पौष्टिक आहार आपके बच्चे को तेज़ी से बढ़ने में मदद करता है | ज़रूरी है कि आप ध्यान रखें की आपके बच्चे को सम्पूर्ण मात्रा में सभी पोषक तत्व मिल रहे हैं , ताकि वह अपनी उम्र के हिसाब से सही तरह से बढ़ पाए |

वज़न
एक बच्चे का आहार इस प्रकार होना चाहिए कि उसे उसके विकास के लिए सम्पूर्ण रूप से पोषण मिल सके और उसका वज़न भी ना बढ़े | आम तौर पर युवक/युवती की उम्र तक पहुंचने से पहले, पुबर्टी के समय एक बच्चे की लम्बाई 10 इंच तक बढ़ती है| इस दौरान बहुत से बच्चों का वज़न तेज़ी से बढ़ता है , क्योंकि इस समय उनके शरीर में मांसपेशियों , बॉडी फैट और हड्डियों में बदलाव आ रहे होते हैं |

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